सुपर पावर लॉकेट |
प्रशांत और ऋषभ नाम के दो बहुत ही
अच्छे और गहरे दोस्त थे। दोनों एक ही स्कूल में और एक ही कक्षा में पढ़ते थे। दोनों के दोनों पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी रुचि रखते थे। स्कूल में एक दिन साइकिल प्रतियोगिता रखी गई जिसमें प्रशांत हमेशा पहला नंबर आता और ऋषभ दूसरा नंबर आता था।
अच्छे और गहरे दोस्त थे। दोनों एक ही स्कूल में और एक ही कक्षा में पढ़ते थे। दोनों के दोनों पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी रुचि रखते थे। स्कूल में एक दिन साइकिल प्रतियोगिता रखी गई जिसमें प्रशांत हमेशा पहला नंबर आता और ऋषभ दूसरा नंबर आता था।
प्रशांत की मां अब इस दुनिया में नहीं थी, जब प्रशांत 5 साल का था तो उसकी मां एक बार इतना बीमार पड़ी की उन्ही दिनों उनकी मृत्यु हो गई थी। उसके पिता ही माता-पिता दोनों का फर्ज निभा रहे थे। मरते समय प्रशांत को उसकी माँ ने गोदी में बिठा कर प्यार से समझाया और बहुत सी आशीष भी दी। प्रशांत के गले में एक लॉकेट पहनाते हुए कहा कि मेरी आशीष हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी। वह हमेशा उस सुपर पावर लॉकेट को अपने पास ही रखता था। क्योंकि माँ ने उसे कहा था, कि तुझे कभी किसी तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ेगा। तुम हमेशा मेहनत और सच्चाई पर चलना यह कहते हुए उसकी मां ने दम तोड़ दिया था।
हालांकि प्रशांत था तो बहुत छोटा पर उसकी माँ द्वारा दिया गया सुपर पावर उसके मन पर गहरा असर छोड़ गया। जब भी कोई भी इम्तिहान होता या पाठशाला में कोई भी प्रतियोगिता होती वह सुपर पावर को अपने साथ ही रखता था। इस बात को उसने अपने दोस्त ऋषभ को भी बताया था। ऋषभ के मन में भी यह बात घर कर गई थी कि प्रशांत सुपर पावर की वजह से ही हमेशा, पहले स्थान पर आता है।
यह बात उसके मन को चुभती रहती थी, कि वह हमेशा पहला नंबर आता है जिसके कारण से मैं दूसरा नंबर आता हूँ और हो ना हो यह सुपरपावर का ही कमाल है। हालांकि ऋषभ भी पहला नंबर आने की बहुत कोशिश करता था पर हमेशा प्रशांत ही पहले नंबर पर आता था।
एक दिन स्कूल में साइकिल रेस कि प्रतियोगिता रखी गई और इस प्रतियोगिता में दोनों ने हिस्सा भी लिया। प्रतियोगिता के दिन सुबह-सुबह ऋषभ, प्रशांत के घर जा पहुंचा, उस समय प्रशांत नहा रहा था। उसने देखा कि प्रशांत की मां की तस्वीर के आगे वही लॉकेट लटका हुआ था। उसके मन में अचानक से बेईमानी जागी, उसने वह लॉकेट चुपचाप से उठाया और अपनी जेब में रख लिया और अपने स्कूल की तरफ दौड़ चला।
प्रशांत जब नहा कर बाहर निकला तो उसने पाया कि माँ की तस्वीर के पास लॉकेट नही था और यह देख वह बहुत ही मायूस होकर रोने लगा। प्रशांत के पिताजी ने उसको बहुत समझाया कि यह मत सोचो कि तुम अब पहले नंबर पर नही आओगे। पिता के समझाने पर की सुपर पावर किसी लॉकेट में नहीं सुपर पावर तो आपके अंदर होती है आपका आत्मविश्वास अगर जो करना चाहे वह हो सकता है। और आज यह मान ले कि तेरे पास लॉकेट है और इस प्रतियोगिता में भाग लेकर देख। आपके अंदर मनोबल, मेहनत और आत्मविश्वास होना चाहिए। जिससे आप हर प्रतियोगिता जीत सकते हो। आपकी माता जी ने आप को शक्ति दी थी, कि हिम्मत और मेहनत के बल पर तुम हर जीत को हासिल करोगे। तुम जरूर जीतोगे, यह मेरा विश्वास है।
तब प्रशांत ने तमाम जोश और अपने आत्मविश्वास के साथ प्रतियोगिता में भाग लिया और पहले नंबर पर आया। जब ऋषभ ने यह सब देखा तो वह कशमकश में पड़ गया कि उसकी सुपर पावर लॉकेट तो मेरे पास थी फिर भी मैं दूसरे नंबर पर आया और प्रशांत पहले नंबर पर। उसने प्रशांत को गले लगाया और बताया कि लॉकेट मेरे पास था। और उससे माफी मांगते हुए लॉकेट वापिस दिया।
प्रशांत ने कहा मेहनत और लगन ही सुपर पावर होती है। यह शक्ति इस लॉकेट में नहीं जबकि मेरे अंदर थी और मैं पहले नंबर पर आया यह एक चमत्कार है। मेरे दोस्त तू भी अपने अंदर की शक्ति को पहचान और चमत्कार देख, तू भी पहला नंबर आ सकता है।
तो बच्चों बताओ, आज की कहानी पढ़कर आपको कैसी लगी, और आपको इस कहानी से क्या शिक्षा मिली। लिखकर जरूर बताएं।
जल्द मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ।
धन्यवाद ... 💐💐
Really motivating for everyone hard work n faith pays in the long run.
ReplyDeleteThanks ..💐💐
Deletebahut pasand aayi mujhe , uski ki yaad ko taza kar diya .virender kumar
ReplyDeleteThanks ..💐💐
Deleteबहुत बढ़िया प्रेरणादायक कहानी है सभी के लिए।
ReplyDeleteहमें अपने अंदर की शक्ति को पहचानना है आत्मविश्वास रखना है हम भी जो चाहते हैं वह कर सकते हैं।धन्यवाद 🙏🙏
धन्यवाद ... 💐💐
DeleteThanks for visit my page and visit again...💐💐
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरणादायक कहानी है।
ReplyDeleteVery nice👌😊
धन्यवाद .. 💐💐
DeleteI Really Likr Your Article Thanks For Sharing with Us Sandeep Maheshwari Quotation in Hindi
ReplyDeleteThanks ... 💐💐
Deleteवाह!लाजवाब ऊर्जावर्धक सार्थक आलेख.
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद आदरणीया 💐💐
Deleteबहुत बढ़िया शिक्षाप्रद कहानी।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी,
ReplyDeleteबाल साहित्य पर लिखी गई कहानी भी आपने पढ़ी और उसे चर्चा मंच पर प्रविष्टी के लिए भी चुना, जिसके लिए आपका आभार।
💐💐
आपका धन्यवाद 💐💐
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 04 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आदरणीय,
Deleteइस लेख की "पांच लिंको का आनंद" पर प्रविष्टी के लिए आपका आभार।
सधन्यवाद ....💐💐
बहुत सुन्दर कहानी
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